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(श्री राम दर्शन)


“राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे। सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने॥”

श्री राम को प्रसन्न करने के प्रमुख तीन मंत्र

श्री राम स्तुति

श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन हरण भवभय दारुणं ।
नव कंज लोचन कंज मुख कर कंज पद कंजारुणं ॥१॥

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श्रीरामरक्षा स्‍त्रोत

अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य। बुधकौशिक ऋषि:।
श्रीसीतारामचंद्रो देवता।

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श्री राम चालीसा

श्री रघुवीर भक्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
निशिदिन ध्यान धरै जो कोई। ता सम भक्त और नहिं होई॥1॥

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भारत के प्रसिद्द श्री राम मंदिर

अयोध्या राम मंदिर

अयोध्या भगवान श्रीराम की जन्मभूमि है। यह अयोध्या, उत्तर प्रदेश में स्थित है। यहां महल, मंदिर और तमाम तरह के आश्रम बने हुए थे। लेकिन मुग़ल काल में यह सभी तोड़ दिए गए। अब पुनः यहाँ विशाल राम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है।

भद्राचलम सीता राम मंदिर

गोदावरी नदी के किनारे बसा तेलंगाना का भद्राचलम शहर मंदिरों के शहर के नाम से मशहूर है लेकिन यहां का श्री सीता रामचंद्र स्वामी मंदिर सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है जिसकी वजह से इस शहर को दक्षिण की अयोध्या के नाम से भी जाना जाता है।

नासिक कालाराम मंदिर

वनवास के दौरान प्रभु राम ने नासिक में भी प्रवास किया था। भगवान राम के पदचिह्नों के रूप में कई मंदिर नासिक में हैं। इस मंदिर में भगवान राम की मूर्ति काले पाषाण से बनी हुई है, इसलिए इसे ‘कालाराम’ कहा जाता है।

राम दर्शन में दर्शन योग्य अन्य पृष्ठ

हमारा यह दुर्भाग्य है कि हम राम नाम का सहारा नहीं ले रहे हैं। हमने जितना भी अधिक राम नाम को खोया है, हमारे जीवन में उतनी ही विषमता बढ़ी है, उतना ही अधिक संत्रास हमें मिला है। एक सार्थक नाम के रुप में हमारे ऋषि-मुनियों ने राम नाम को पहचाना है। उन्होंने इस पूज्य नाम की परख की और नामों के आगे लगाने का चलन प्रारंभ किया।
प्रत्येक हिन्दू परिवार में देखा जा सकता है कि बच्चे के जन्म में राम के नाम का सोहर होता है। वैवाहिक आदि सुअवसरों पर राम के गीत गाए जाते हैं। राम नाम को जीवन का महामंत्र माना गया है।
तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में लिख दिया है कि प्रभु के जितने भी नाम प्रचलित हैं, उन सब में सर्वाधिक श्री फल देने वाला नाम राम का ही है।
यह नाम सबसे सरल, सुरक्षित तथा निश्चित रुप से लक्ष्य की प्राप्ति करवाने वाला है। मंत्र जप के लिए आयु, स्थान, परिस्थिति, काल, जात-पात आदि किसी भी बाहरी आडम्बर का बंधन नहीं है। किसी क्षण, किसी भी स्थान पर इसे जप सकते हैं।

योग शास्त्र में देखा जाए तो ‘रा’ वर्ण को सौर ऊर्जा का कारक माना गया है। यह हमारी रीढ़-रज्जू के दाईं ओर स्थित पिंगला नाड़ी में स्थित है। यहां से यह शरीर में पौरुष ऊर्जा का संचार करता है। ‘मा’ वर्ण को चन्द्र ऊर्जा कारक अर्थात स्त्री लिंग माना गया है। यह रीढ़-रज्जू के बांई ओर स्थित इड़ा नाड़ी में प्रवाहित होता है। इसीलिए कहा गया है कि श्वास और निश्वास में निरंतर र-कार ‘रा’ और म-कार ‘म’ का उच्चारण करते रहने से दोनों नाड़ियों में प्रवाहित ऊर्जा में सामंजस्य बना रहता है। अध्यात्म में यह माना गया है कि जब व्यक्ति ‘रा’ शब्द का उच्चारण करता है तो इसके साथ-साथ उसके आंतरिक पाप बाहर फेंक दिए जाते हैं। इससे अंतःकरण निष्पाप हो जाता है।


12 thoughts on “होम”

  1. || श्री राम जय राम जय जय राम ||
    आपको बहुत धन्यवाद् प्रभु श्री राम के वर्णन की इतनी सुन्दर रचना के लिए

  2. श्री राम शलाका प्रश्नावली ,, अद्भुत संकल्पना प्रणाम

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